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शेख हसीना का राजनीतिक अवसान: एक विश्लेषण

Dr Ashish Shukla is Associate Fellow at Manohar Parrikar Institute for Defence Studies and Analyses.
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  • September 09, 2024

    पिछले महीने की 5 तारीख को बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद को छात्र आन्दोलन और तेजी से हिंसक हो रही परिस्थितियों के बीच देश छोड़कर जाना पड़ा था| बांग्लादेश के इतिहास में यह पहला मौका था जब एक बेहद ताकतवर प्रतीत हो रही नेत्री को बहुत ही कम समय में उस देश को अलविदा कहना पड़ा जहाँ वह पिछले 15 वर्षो से अधिक समय तक सत्ता के शीर्ष पर विराजमान थी| मुश्किल की इस घड़ी में शेख हसीना अपनी जान बचाने के उद्देश्य से भारत आयीं और तब से यहीं रह रही हैं| इस बात को अब एक महीने हो चुके हैं| शेख हसीना के नेतृव वाली आवामी लीग की सरकार के सत्ता से बेदखल होने के एक महीने पूरे होने के उपलक्ष में 5 सितम्बर 2024 को छात्रों ने ढाका विश्वविद्यालय के ‘राजू मेमोरियल स्कल्पचर’ से ‘शहीदी मार्च’ के रूप में एक बड़ा जुलूस निकाला जिसमें हजारों छात्रों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भाग लिया| वर्तमान समय में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में एक अंतरिम सरकार अस्तित्व में है जिसके ऊपर स्थितियों को नियंत्रित करते हुए व्यवस्था को सामान्य करने की जिम्मेदारी है| बांग्लादेश के संविधान के अनुसार जातीय संगसद (बांग्लादेश की संसद) के विघटन के 90 दिनों के अन्दर आम चुनाव हो जाने चाहिए|

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