पाकिस्तान में नृजातीय बलोच पिछले कई दशकों से अपने अलग अस्तित्व के लिए संघर्षरत हैं| सन 1947 में भारतीय उपमहाद्वीप के बँटवारे और तत्पश्चात पाकिस्तान के अस्तित्व में आने से पहले ही कलात (वर्तमान बलूचिस्तान) के शासक, जिन्हें ‘खान’ कहा जाता था, ने अपने स्वतंत्र अस्तित्व की स्वीकार्यता के लिए औपनिवेशिक शासन से बात-चीत कर रहे थे| पाकिस्तान के जन्म से तीन माह पहले, कलात के कानूनी सलाहकार की हैसियत से मुहम्मद अली जिन्ना स्वयं ब्रिटिश शासन से इस मुद्दे पर बात-चीत (Negotiate) कर रहे थे|