2030 तक वैश्विक ड्रोन हब बनने और 2047 तक विमानन विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनने के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के बीच भारतीय वैमानिकी उद्योग को प्रतिकूल नियामक नीतियों और कुशल विमानन तकनीशियनों की कमी के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह चुनौतियां कुशल कर्मियों की लागत को बढ़ाती हैं और भारतीय विमानन और ड्रोन विनिर्माण और रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) उद्योग के प्रतिस्पर्धी बनने में बाधक बन जाती हैं। इसलिए, विमानन तकनीशियनों के प्रमाणीकरण से जुड़े भारतीय नियमों में सुधार और रक्षा बलों के कुशल विमानन तकनीशियनों को सिविल क्षेत्र के लिए भी तैयार करना समय की आवश्यकता है।
Disclaimer: This is a Hindi translation of the author’s Issue Brief titled “Reforms in Indian Aviation/Drone Technician Certification Policy”, published on 31 October 2023.